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दिल्ली के हृदय में, पवित्र यमुना नदी के किनारे स्थित है एक शांत और पवित्र धाम — सिद्ध श्री बालाजी मंदिर। इस मंदिर की स्थापना सन् 1907 में वाराणसी के संत श्री बाबा लक्ष्मण गिरी जी महाराज ने की थी। उन्होंने वर्षों तक कठोर तपस्या कर भगवान हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित किया। श्री बाबा लक्ष्मण गिरी जी महाराज ने अनगिनत लोगों को तपस्या द्वारा मार्गदर्शन दिया। उनके आदेश पर सेनापति श्री महंत आत्मानंद गिरी जी महाराज ने अपने शिष्य श्री वीर गिरी जी महाराज को सेवा हेतु आश्रम में भेजा। सन् 1942 में श्री बाबा लक्ष्मण गिरी जी ब्रह्मलीन हो गए, जिसके बाद परंपरा के अनुसार श्री वीर गिरी जी महाराज को आगे की परंपरा संभालनी पड़ी और उन्हें श्री हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त हुई।
यह पावन स्थान सदियों से प्रकृति और सांस्कृतिक अध्यात्म का पोषक केंद्र रहा है। यहाँ अनेक सिद्ध योगियों ने साधना की, जिनमें श्री आत्मानंद गिरी जी महाराज, श्री गुरु नेपाली दादा जी महाराज (दादा दरबार, जोधपुर), श्री महंत ऋषि गिरी जी महाराज, श्री बद्रीश राजगुरु श्री महंत गोदावरी गिरी जी महाराज और अन्य संत शामिल हैं।
सन् 1983 में श्री वीर गिरी जी महाराज ब्रह्मलीन हो गए और उस समय श्री स्वरूप गिरी जी महाराज को मंदिर का दायित्व सौंपा गया। उन्होंने मंदिर, गुरु समाधि और आश्रम का पुनर्निर्माण कराया। मंदिर 100 वर्ष से अधिक पुराना है। यहाँ हनुमान जी की प्राचीन प्रतिमा के साथ एक शिव मंदिर, एक कुआँ और कई नागा साधुओं की समाधियाँ भी स्थित हैं। सन् 2003 में श्री स्वरूप गिरी जी महाराज भी ब्रह्मलीन हो गए। उसके बाद श्री महंत मुनेश्वर गिरी जी महाराज को मंदिर का प्रमुख बनाया गया। उन्होंने 2007 में “श्री बाबा लक्ष्मण गिरी जी महाराज हनुमान मंदिर ट्रस्ट” की स्थापना की और 2018 में अपने शिष्य स्वामी कंचन गिरी जी महाराज को गद्दी सौंपी।
सन् 2019 में स्वामी कंचन गिरी जी महाराज ने ट्रस्ट का नाम बदलकर “सिद्ध श्री बालाजी मंदिर” कर दिया। सन् 2022 में उनके संकल्प से 31 फीट ऊँची हनुमान जी की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की गई, जो आज सभी का ध्यान आकर्षित करती है। हर मंगलवार यहाँ सुंदरकांड पाठ भी आयोजित होता है।
वर्तमान में, स्वामी श्री कंचन गिरी जी महाराज के मार्गदर्शन में मंदिर और आश्रम का संचालन वैदिक परंपराओं के अनुसार हो रहा है। यहाँ प्राकृतिक संरक्षण, आधुनिक विकास, आध्यात्मिक साधना, गो सेवा, पूजा-पाठ और सत्संग जैसे अनेक प्रकल्प चलाए जाते हैं। यह स्थान अध्यात्म और संस्कृति का अनोखा संगम है।